6 जून 2025 को रिलीज़ हुई बॉलीवुड की मोस्ट अवेटेड कॉमेडी फिल्म ‘Housefull 5’ ने ओपनिंग वीकेंड में ₹100 करोड़ की शानदार कमाई की, जिससे ऐसा लगा कि फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित होगी। लेकिन क्या वाकई ये फिल्म दर्शकों को हँसाने में कामयाब रही? या फिर सिर्फ ओपनिंग तक ही इसका जादू चला?
दरअसल, इस बार ‘Housefull 5’ में सिर्फ कॉमेडी नहीं, बल्कि थोरा adult type ka scene डाल दिया गया — शायद मेकर्स को लगा कि ऐसे dialogues और situations से फिल्म को ज्यादा viewers मिलेंगे। मगर हुआ इसके ठीक उल्टा। जो फिल्म पारिवारिक मनोरंजन के नाम पर प्रमोट की गई थी,
उसमें Double meaning dialogues, बेबुनियादी सीन, और glamour का overdose इतना ज्यादा था कि आप न तो इसे अपने बच्चों के साथ देख सकते हैं, न ही परिवार के साथ।
ऐसी Script and presentation को देखकर कई दर्शकों ने सोशल मीडिया पर साफ कहा कि ये फिल्म सिर्फ बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड टाइप Audience के लिए बनाई गई है — जिसे असली कॉमेडी की तलाश नहीं, बल्कि हल्की-फुल्की, अश्लील एंटरटेनमेंट चाहिए।
यही वजह रही कि फिल्म ने भले ही पहले हफ्ते में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन वर्ड ऑफ माउथ ने इसकी पोल खोल दी। जिन लोगों को उम्मीद थी कि ‘हाउसफुल’ ब्रांड जैसा मज़ा मिलेगा, वो निराश हो गए। नतीजा ये हुआ कि फिल्म जितना कमा सकती थी, उतना नहीं कमा पाई — और ब्लॉकबस्टर बनने का सपना अधूरा रह गया।
Comedy के बीच में कातिल कौन है?
Housefull 5 को भले ही एक comedy फिल्म के रूप में प्रचारित किया गया हो, लेकिन इसकी कहानी में छिपी हुई murder mystery ने दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया। जहां एक तरफ हर सीन में हँसी, शोर और अराजकता दिखाई देती है, वहीं दूसरी तरफ एक रहस्यमयी हत्या की परतें कहानी को गंभीरता की ओर ले जाती हैं।
फिल्म की शुरुआत होती है अरबपति मिस्टर डोबरियाल के भव्य 100वें जन्मदिन समारोह से, जो एक क्रूज़ पर मनाया जा रहा है। माहौल रंगीन है, म्यूज़िक चल रहा है, हर कोई मौज-मस्ती में डूबा है — लेकिन तभी आता है वो मोड़, जब मिस्टर डोबरियाल की अचानक मौत हो जाती है।
अब सस्पेंस और मज़ाक साथ-साथ चलते हैं। रितेश देशमुख, अक्षय कुमार और अभिषेक बच्चन — तीनों “जॉली” — खुद को मृत अरबपति का बेटा बताकर विरासत पर दावा करते हैं। पर असली बेटा कौन है? और असली कातिल कौन?
इसी ट्विस्ट को और उलझाने के लिए फिल्म में दो अलग-अलग क्लाइमैक्स रखे गए हैं — Housefull 5A और Housefull 5B — जिनमें अलग-अलग हत्यारे सामने आते हैं। इससे दर्शकों को दो बार सोचने, और दो बार चौंकने का मौका मिलता है।
कहानी बार-बार कॉमिक मोमेंट्स और थ्रिलर एलिमेंट्स के बीच झूलती रहती है। एक सीन में आप ज़ोर से हँस रहे होते हैं, तो अगले ही सीन में शक करने लगते हैं — “कहीं यही तो कातिल नहीं?”
लेकिन इस विरोधाभास का असर ये होता है कि न तो कॉमेडी पूरी तरह हँसाती है, और न ही मर्डर मिस्ट्री पूरी तरह चौंकाती है।
फिर भी, फिल्म का यही पहलू “Comedy के बीच, कातिल कौन?” जैसे सवाल को लेकर दर्शकों को थिएटर में बांधे रखता है — चाहे अंत में जवाब मिले या न मिले।
नाम बड़े, लेकिन किरदार total flop निकले।
Housefull 5 की सबसे बड़ी ताकत मानी जा रही थी इसकी भारी-भरकम स्टारकास्ट। अक्षय कुमार, रितेश देशमुख और अभिषेक बच्चन जैसे पुराने सितारों के साथ फिल्म में जुड़ते हैं संजय दत्त, जैकी श्रॉफ, श्रेयस तलपड़े, नाना पाटेकर, फरदीन खान, जॉनी लीवर, और कई और नाम — यानी करीब 18 सितारे एक ही स्क्रीन पर।
लेकिन जितने बड़े नाम थे, उतनी ही कमज़ोर परफॉर्मेंस और बिना किसी काम का मौजूदगी देखने को मिली। किसी भी कैरेक्टर को वो गहराई नहीं मिली, जिससे वे यादगार बन सकें।
- अक्षय और रितेश पुराने मस्ती वाले अंदाज़ में तो हैं, लेकिन वही पुराना रिपीटेड फॉर्मूला अब थका-थका सा लगता है।
- अभिषेक बच्चन का रोल ज़्यादा असरदार नहीं बन पाया — उनका कैरेक्टर फिल्म में कहीं खो गया।
- नाना पाटेकर इकलौते कलाकार थे जिनकी टाइमिंग और सीरियस ह्यूमर ने थोड़ी राहत दी।
महिला कलाकारों की बात करें तो जैकलीन फर्नांडिस, चित्रांगदा सिंह, नरगिस फाखरी, सोनम बाजवा और सौंदर्या शर्मा जैसी अभिनेत्रियाँ बस ग्लैमर शो पीस बनकर रह गईं। न कोई मजबूत डायलॉग, न कोई सीन जो छाप छोड़ सके।
फिल्म की कॉमेडी में नयापन नहीं है। वही पुराने डबल मीनिंग वाले डायलॉग, बासी पंच और जबरन हँसी लाने की कोशिशें दर्शकों को बोर कर देती हैं।
ऊपर से, फिल्म के गाने — ‘कयामत’, ‘फुगड़ी डांस’, ‘लाल परी’ — न तो ट्यूनफुल हैं और न ही कहानी में फिट बैठते हैं। उल्टा ये ट्रैक फिल्म की रफ्तार को तोड़ते हैं।
Double Meaning Dialogues और ढीले गानों से भरी फिल्म
‘Housefull’ Franchise की पहचान हमेशा से उसके Over-the-Top कॉमेडी और फनी पंचलाइन्स रही है। लेकिन इस बार वही फॉर्मूला कुछ थका हुआ और दोहराया हुआ महसूस होता है।
“मेरी बीवी, तेरी गर्लफ्रेंड” जैसे पुराने जमाने के जोक्स और डबल मीनिंग डायलॉग्स अब न तो ताजगी लाते हैं और न ही दर्शकों को हँसाने में कामयाब होते हैं। पहले जो चीज़ें लोगों को हँसी से लोटपोट कर देती थीं, अब वो बेमतलब और जबरदस्ती ठूँसी हुई लगती हैं।
गानों की बात करें तो फिल्म में शामिल ट्रैक्स जैसे — ‘कयामत’, ‘फुगड़ी डांस’, और ‘लाल परी’ — सिर्फ ग्लैमर और डांस के लिए डाले गए लगते हैं। ये ना सिर्फ कहानी से जुड़ नहीं पाते, बल्कि फिल्म की रफ्तार को भी कई बार रोक देते हैं। गानों की कोरियोग्राफी और लिरिक्स में कोई नयापन नहीं है, और दर्शक इन्हें देखकर स्किप करने का मन बना लेते हैं।
कुल मिलाकर, फिल्म में न हँसी का असली मज़ा है, न गानों का जादू। बस पुराने फॉर्मूलों को दोहराकर एक बड़ी स्टारकास्ट के सहारे इसे टिकाने की कोशिश की गई है — जो पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाई।
QNA.?
Q1: Screen पर दिखा रंग-रूप के हिसाब से कहानी रही फीकी या मजेदार?
Housefull 5 ने Screen पर भव्य लोकेशन्स, क्रूज़ शिप और खूबसूरत सेट्स से जरूर चमक बिखेरी, लेकिन कहानी के स्तर पर फिल्म फीकी रह गई। किरदार अधूरे लगते हैं और कॉमेडी ज़बरदस्ती ठूंसी हुई लगती है। कुल मिलाकर, Screen तो रंगीन दिखी, लेकिन कहानी में दम नहीं था।
Q2: Movies को तेज़ शुरुआत तो मिली, लेकिन Box Office पर टिक नहीं पाई रफ्तार?
Movies ने अपने ओपनिंग वीकेंड में ₹100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया, लेकिन दूसरे हफ्ते में दर्शकों की रुचि कम हो गई। इसकी बड़ी वजह है कमजोर कहानी, पुराना ह्यूमर और ताजगी की कमी। स्टारकास्ट ने भीड़ तो खींची, लेकिन कंटेंट ने निराश किया।
Q3: क्या ये Film आपके पैसे की वाजिब हक़दार है?
अगर आप Housefull सीरीज़ की पुरानी Films के फैन हैं और बिना सिर-पैर की कॉमेडी पसंद करते हैं, तो ये Film एक बार देखी जा सकती है। लेकिन अगर आप कहानी, लॉजिक और नया पन ढूंढ रहे हैं, तो ये Film शायद आपकी उम्मीदों पर खरी न उतरे।
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